दोस्तों अगर आप सचमे अंतरीक्ष मे दीलचस्पी रखते हो तो आपको (Titan) टायटन के बारे मे तो पता ही होगा (Titan) टायटन हमारे सोलर सिस्टम के दुसरे सबसे बडे ग्रह शनी का चांद और (Ganymade) ग्यानिमेड के बाद सोलर सिस्टम का दुसरा सबसे बडा चांद है
हॅलो दोस्तों हम इसके मिशन के बारे जानने पेहले टायटन के बारें मे जान लेते है
- Titan (टायटन)
25 मार्च 1655 को एक डच अस्ट्रोनोमर (christiaan Huygens) क्रिस्टियन हूयगेंस ने शनी ग्रह के सबसे बडे चांद टायटन की खोज की थी (हुयगेंस) ने शनी के इस चांद का नाम रखा था (saturni's moon) Saturn moon लेकीन शनी ग्रह के इस चांद का नाम मशहूर अस्ट्रोनोमर (Fredrick William Herschel) के बेटे (John Herschel) ने टायटन रखा था
1977 के दशक मे शूरु हूए (voyager) वोयेजर प्रोग्राम के तहत हमारे सोलर सिस्टम के सभी नो ग्रहो को जिसमे प्लुटो भी शमील था करीब से देखना था इस प्रोग्राम के तहत (Voyager) वोयेजर स्पेसक्राफ्ट ने शनी ग्रह को फ्लायबाय किया यानी की शनी ग्रह के करीब से गुजरा और वहा इस स्पेसक्राफ्ट ने जो देखा हमारे वैज्ञानिको के होश उड गये वहा हमने एक घने (Atmosphere) वाला चांद देखा वो देखकर हमारे वैज्ञानिक सोच मे पड गये की इतना घना (Atmosphere) किसका हो सकता है और आखिर वी किस चीज से बना है
(हम (voyager) और कॅसिनी (Cassini) स्पेसक्राफ्ट के बारे मे डिटेल किसी और पोस्ट मे जा)
ये जानने के लिये 15 ॲक्टूबर 1997 को नासा ने एक ऐतिहासिक मिशन किया जिसका नाम था (Cassini Huygens) ये मिशन शनी के ग्रह टायटन को स्टडी करणे लिये इस मिशन मे हमने पेहली बार किसी दुसरे ग्रह के चांद पर लँडिंग की थी और हमे यहा पर बेहद ही अजीब और नई चीज देखणे की मिली इस स्पेसक्राफ्ट ने देखा की बडे बडे तलाब , नदी , समुद्र बिलकुल
हमारी पृथ्वी की तरह लेकीन अजीब बात ये थी की सूरज के इतनी दूर होणे के कारण वहा का तापमान -179 डिग्री सेल्सिअस इतना कम है तो नदी, समुद्र लिक्वीड फॉर्म मे कैसे हो सकते हैं बाद मे इसकी स्टडी के बाद पता चला की नदी और समुद्र लिक्वीड मिथेन के बने हूए है
कॅसिनी स्पेसक्राफ्ट ने इसके आधे हिस्से की मॅपिंग भी की थी लेकीन अभी भी बोहोत कूच जानना बाकी है वैज्ञानिक मानते है की टायटन के नदी और समुद्र मे जीवन हो सकता है तो इसिका पता लगाने के लिये
नासा एक बार फिरसे अपना एक नया मिशन कूच खास तरीके से करणे वाला है आईये जाणते है 👇
जबसे टायटन के घणे वायुमंडल और नदी , समंदर होने की बात पता चली है तबसे टायटन वैज्ञानिको की नजर मे बना हूआ है वैज्ञानिको को लगता है की ईसकी नदियो मे जीवन पणब सकता है क्युकी वहा ऑरगॅनिक (compounds) की भरमार है वहा नदियो मे मिक्रोबियल लाईफ हो सकती है
तो ईसका पता लगाने के लिये नासा साल 2036 तक एक ड्रोन स्पेसक्राफ्ट टायटन पर भेजणे वाला है जिसका नाम है (Dragonfly mission) आइये जाणते है पेहलेसे साल 2002 मे नासा ने स्पेस एक्सप्लोरेशन सिरीज का प्रस्ताव रखा था इस सिरीज का नाम था (The new frontiers program) इस प्रोग्राम के तहत सोलर सिस्टम के ग्रहो , पिंडो और बोने ग्रह जिसमे प्लुटो भी शामिल है उनकी पढाई करना था ईसकी शुरुआत साल 2006 मे हूई ईसका पेहल मिशन
- (new horizens) स्पेसक्राफ्ट था जोकि प्लुटो के लिये लॉन्च किया गया था और वो आज भी ॲक्टिव है
- साल 2011 मे हमारे सोलर सिस्टम के सबसे बडे ग्रह बुध के लिये जुनो स्पेसक्राफ्ट लाँच किया गया था जी आज भी बुध ग्रह के बारे जाणकारी दे रहा हाई
- और ईसका तिसरा मिशन ओसिरीस रेक्स स्पेसक्राफ्ट जो (bennu) (asteroid) से साल 2023 तक हमे सँपल पृथ्वी पर वापस लायेगा
नासा ओसिरिस रेक्स सँपल रिटर्न मिशन
4. और ईसका चौथा मिशन होगा टायटन पर जाणे वाला ड्रॅगनफ्लाय मिशन
- Dragonfly mission
इस मिशन को साल 2026 या फिर 2028 मे लाँच करणे का प्लॅन हे और ये साल 2034 या फिर 2036 तक टायटन पर पोहोचेगा ड्रॅगनफ्लाय एक चार रोटर्स वाला ड्रोन 👆 स्पेसक्राफ्ट होगा जसे (duel Quadcopter) (duel) इसलिये क्युकी इसमे 4 रोटर्स ऊपर होंगे और 4 उसके ही नीचे बॅकअप के लिये अगर एक खराब हूआ तो बॅकअप के लिये दुसरा रोटर होगा आप देख सकते हैं 👆 ऊपर की इमेज मे
ये ड्रोन आठ दिन चार्ज होगा और आठ दीन काम करेगा टायटन पर एक दीन और रात आठ दीन का होते है
ये ड्रोन अलग अलग लोकेशन पर जाकर डेटा कलेक्ट करेगा ये ड्रोन वहा पर (prebiotic chemical process) की खोज करेगा मतलब जैसे की हमारी पृथ्वी पर होती आ रही है मतलब की
(microbial organism's microbial life) जैसे की (unicellular , multicellular organism's) ईसके कारण जीवन की शुरुवात होती है अगर ऐसी कोई खोज हो गई तो ये हमारे लिये किसी दुसरे ग्रह या चांद पर जीवन का सबूत होगा या (Alian) लाईफ सबूत और हमे पता चलेगा की पृथ्वी के अलावा भी बाहर जीवन मौजुद है ये एक ऐतहासिक खोज होगी लेकीन एसा कूच मिला तो क्युकी मंगल के बाद टायटन ही है जहा पर रोव्हर भेजने वाले है
और ये मिशन बोहोत लम्बा और चूनोती भरा होने वाला है क्यूकी टायटन पृथ्वी से बोहोत ही दूर है पृथ्वी से टायटन पर किसी भी मिशन को पोहोचणे मे 7 साल लगेंगे है टायटन से धरती पर सिग्नल पोहोचणे मे 43 मिनट का समय लगता है अगर टायटन से स्पेसक्राफ्ट ने संदेश भेजा तो उसे 43 मिनट लगेंगे ऐसे मे मिशन की लँडिंग और बाकी चीजो को कंट्रोल करना मुश्किल हो जाता है इस स्थिती मे स्पेसक्राफ्ट को खुद ही आगे क्या करना है उसका डिसिजन लेना होगा इसके ली आर्टिफिशियल इंटेलिजन्स लगेगा
ड्रॅगनफ्लाय को टायटन के (shangri la) इस नाम की जगाह पर लँड कराया जा ईसे इसलीये चुना गया क्यूकी ये जगाह पुरी तरह समतल है इस जगाह कभी समुद्र हूआ करते थे जो आज पुरी तरह सुक चुके हैं
दोस्तों आपको लग रहा होगा की ड्रॅगनफ्लाय के बारे मे इतनी कम जाणकारी और इसमे तो टायटन के बारे मे ज्यादा है
दोस्तों टायटन के बारे मे जाणकारी ये तो बोहोत कम है हम टायटन के बारे मे डिटेल मे किसी और पोस्ट मे जनेंगे
Plz कमेंट किजिये की मेरी पोस्ट कैसी है plzzz
Thank you
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