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New Horizons probe in hindi


 (New Horizons) स्पेसक्राफ्ट ये हमारे सौर मण्डल सबसे आखरी ग्रह प्लुटो को स्टडी करणे के लिये बनाया गया था 19 जनवरी 2006 को नासा के केप कॅनवरल लाँच साईट से (Atlas V) रॉकेट से प्लुटो के लिये लाँच किया गया था ये मिशन (new frontiers program) के तहत पेहला मिशन लाँच किया गया था 

इस मिशन का मेन गोल प्लुटो को स्टडी करना था प्लुटो एक द्वार्फ प्लॅनेट है मतलब बोना ग्रह मतलब ये की प्लुटो को प्लॅनेट का दर्जा नही दिया गया है ऐसा इसलिये क्यूकी प्लुटो एक प्लॅनेट के क्राईटेरिया को पुरा नही करता जैसे की प्लुटो का ऑर्बिट अगर देखा जाये तो उसका ऑर्बिट उसके ही कंट्रोल मे नही है और उसके जो चांद है 

वो प्लुटो के ॲक्सिस से बाहर घुम रहा है मतलब जैसे पृथ्वी अपने ऑर्बिट मे बराबर है और चांद भी अपने ॲक्सिस पर है ना धरती के बाहर और ना ज्यादा अंदर लेकीन प्लुटो खुद ही अपने ऑर्बिट ने परफेक्ट नही है और उसका चांद भी उसके ॲक्सिस के बाहर है मतलब प्लुटो इतना छोटा भी है बोहोत छोटा ये एक फेक्ट है की प्लुटो चांद से भी छोटा है ईन्ही वजहो से प्लुटो को एक प्लॅनेट नही माना गया है 

तो इसका गोल प्लुटो को और प्लुटो के आजू बाजू एक बेल्ट मौजुद है उसे कायपर बेल्ट कहा जाता हैं जैसे की मार्स के बाद आने वाली (ASTEROID) बेल्ट हे वेसेही कायपर बेल्ट नेपच्यून के बाद आती है तो इसी कायपर बेल्ट को स्टडी करणे के लिये की ये क्या है ये भी इस मिशन का मेन गोल है 


तो (new horizons) को लॉन्च करके इसे सिधे पृथ्वी के ग्रँविटेशनल इन्फ्ल्युएन्स के बाहर निकाल दिया गया था मतलब इसे पृथ्वी के ऑर्बिट मे घुमाया नही सीधे बाहर निकाल दिया गया था और उसके बाद 9.5 साल का सफर तय करके प्लुटो तक पोहोचा 

एक बात ध्यान मे रखीये की ये मिशन ऑर्बिटअल मिशन नही था ये मिशन एक फ्लायबाय मिशन था क्यूकी प्लुटो छोटा होने के कारण उसकी ग्रँविटी बोहोत् कम होगी तो तो इतनी कम ग्रँविटी होने से (Horizons) स्पेसक्राफ्ट को प्लुटो के पास पोहोचणे पर बोहोत अपनी गती कम करणे मे बोहोत ज्यादा फ्युल लगता क्यूकी वो जुपिटर जैसे नही काम फ्यूल मे उसकी ग्रँविटी उसको पकड लेगी एसा तो नही इस मिशन को सिर्फ प्लुटो का फ्लाय बाय मतलब सिर्फ उसके पास से गुजर गया 

ये स्पेस क्राफ्ट प्लुटो मे ऑर्बिट के दौरण सबसे नजदीक से 12,500 किलोमिटर  दूर से गुजरा था 

तो दोस्तों (Horizons) स्पेस क्राफ्ट का फ्लाय बाय 15 जुलै 2015 को किया गया था तो इस मिशन का फ्लाय बाय हो गया अब जो डेटा स्पेस क्राफ्ट ने कलेक्ट किया था वो आज तक भेज रहा है क्यू प्लुटो से धरती पर (TB- terabyte) तक का डेटा आने मे 1 - 2 महिने लग जाते है 


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