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GSLV - MK3 ROCKET

 


GSLV - MK3 - Geosynchronus Launch Vehicle - Mark-3  ये इंडिया का सबसे पॉवर फुल रॉकेट है. इस हम बाहुबली के नाम से भी जाणते है और इस इंडिया का फॅट बॉय भी कहा जाता है. क्युकि इस रॉकेट की फोटो आप देखोगे तो आपको दीखेगा की ये रॉकेट उंचाई मे इतना बडा नही है लेकीन चौडाई मे बोहोत मोटा है.

अब ये GSLV MK3 है तो mk2, mk1 है लेकीन ये डोनो इताने सक्सेसफुल नही रहे जितना ये GSLV mk3 है इस्रो ने mk2 और mk1 से सिखकर mk3 बनाया तो इंडिया के पास दो सबसे सक्सेसफुल रॉकेट है. PSLV अँड GSLV mk3.

ये इंडिया का सबसे पॉवर फुल रॉकेट इसलिये क्यूकि इसकी पेलोड कपॅसिटी सबसे ज्यादा है ये रॉकेट 10 टन तक पृथ्वी की निचली कक्षा यानी की लो अर्थ ऑर्बिट मे ले जा सकता है और 4 टन जिओस्टेशनरी ऑर्बिट मे पोहोचा सकता है.

इस रॉकेट से इंडिया को हेवी लिफ्ट कॅपेबिलीटी मिली है ये रॉकेट इसलिये बनाया क्युकी PSLV रॉकेट है पर ये सिर्फ छोटे (satellites) को ध्यान मे रखकर बनाया गया हैं इसे हेवी लिफ्ट कॅपेबिलिटी को सोचकर बनाया ही नही गया तो इसलिये GSLV MK3 को बडे (satellites) के हिसाब से बनाया गया और इस्रो मे 2010 से ये बात shuru हूइ की इंडिया को मॅन मिशन करना चाहिए तो उसके लिये एक पॉवर फुल रॉकेट चाहिए तो ये ह्यूमन स्पेस फ्लाईट को भी ध्यान मे रखते हूए GSLV - MK3 बनाया गया.


  • Working of GSLV-MK3 


ये थ्री स्टेज रॉकेट हैैैै पेहले स्टेज मे दो (s200) सॉलिड रॉकेट बूस्टरस् है दुसरा स्टेज इसका कोर स्टेज है (L110) लिक्वीड स्टेज और तिसरी स्टेज क्र्यायोजेनिक इंजन है.

तो रॉकेट लाँच होने पे पेहले GSLV रॉकेट के दो साइड बूस्टरस् फायर किए जायेंगे ध्यान मे रखिये इसके कोर स्टेज के दोनो बाजू ये सॉलिड बूस्टरस् लगे हूये है पेहले ये दो साइड बुस्टरस् चालू होंगे और रॉकेट को स्पेसिफिक हाइट तक ले जाकर डीटॅच हो जायेंगे फिर इसका कोर स्टेज इंजिन फायर करेगा फिर ये भी कूच हाईट तक छोड के फिर थर्ड स्टेज क्रायोजेनिक इंजिन चालू होगा और पेलोड को ऑर्बिट तक पोहोचायेगा.


  • Launches


तो GSLV-MK3 रॉकेट के अब तक चार लाँचेस ही चुके है पेहला लॉन्च इसका गगनयान के डमी पेलोड टेस्ट किया गया था इसमे एक टेस्टिंग स्पेस कॅप्सुल को लाँच किया गया था और इसे पॅराशूट की मदत से उतरणा था टेस्ट ये था की ये कॅप्सुल ठीक से पॅराशूट डिप्लोय कर पता हैं या नही. इसके बाद दो लाँच हुये बडे बडे (satellites) के एक था 3.4 टन का और दुसरा 3.1 टन इनको जियोस्टेशनरी लाँच किया गया तो ये बोहोत बडी बात है की 3 टन से भी ज्यादा वजन वाले (satellites) को लाँच किया गया और इसकी तिसरी लॉन्चिंग चंद्रयान-2 की थी. 




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