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चांग ई-5 मिशन चीन लाया चांद से मिट्टी


 चांग ई 5 मिशन चीन लाया चांद से मिट्टी

 


हॅलो फ्रेंड्स  

तो पुरे 44 साल बाद चांद की मिट्टी धरती पर लोटी है

मतलब चांद से मिट्टी लाई गयी है 

और उसे लाया है हमारे पडोसी देश चीन ने और चीन ऐसा करणे वाला दुनिया का तिसरा देश बन चुके हैं और चीन ने चांद पर अपना झंडा भी लगाया चीन ऐसा करणे वाला (USA) के बाद दुसरा देश बन चुका है

तो हम इस ब्लॉग पोस्ट मे जानेंगे की चीन चांद की मिट्टी  पृथ्वी पर कैसे लाया 

और इसके पीछे चीन का मैन गोल क्या हैं 


तो चलीये शुरु करते है 


23 नोव्हेंबर 2020 को चांग ई-5 मिशन 

(long march-5) रॉकेट से लाँच हुआ 


उसके साथ 4 (modules) थे 

  1.  ऑर्बिटर   (orbiter) (सर्व्हिस module)
  2. (Lander)
  3. (Ascending module)
  4. (Re entry module) (sample return capsule)

28 नोव्हेंबर 2020 को ये चांद की कक्षा मे पहुंचा 
कक्षा मे पहुंचने के बाद 1 डिसेंबर को ऑर्बिटर 
(orbiter) से  (lander) अलग हो गया



 और
 लँडिंग के लिये चांद की तरफ बढने लगा और
चांद की एक जगह जीसे 
(Oceanus procellarum)कहा जाता है
दर असल चांद की ये जगह बाकी जगहों से काफी 
(Youngest) (site) जगह है 
बोहोत सारे (satellites)
के डेटा से यह पता लागता हैं की चांद पर 

बोहोत सारी साईट्स (3.2 से 4.4 billion) साल
पुराणी है पर कूच साईट्स ऐसी है जो 
(1.1 billion) साल पुराणी है मतलब ये बोहोत (youngest) है

 तो इस साईट पर मतलब
  चांद की सतह पर  सॉफ्ट लँडिंग की 
अब लँडिंग के बाद 

यहा पे (lander) का काम शूरू होता है
सारे इलेक्ट्रॉनिक्स इक्विपमेंट (lander) मे ही थे 

जैसे की सँपल कलेक्ट करणे के लिये 
ड्रिल , रोबोटिक आर्म स्पेक्ट्रोमीटर, कॅमेरा
ऐसी सारे इंपॉर्टन्ट एक्विपमेंटस् थे



(Lander) ने करिब 1 मीटर तक ड्रिल किया 
ड्रिल के बाद उन सँपलस् को कलेक्ट 
करके उन्हे (Ascender) मे ट्रान्स्फर किया 


और सँपलस् कलेक्शन के बाद अब (lander) 
ने वहा पर एक चिनी झंडा लगाया


और चांद पर अपना फ्लॅग लगाणे वाला चीन (USA)
के बाद दुसरा देश बन गया 

अपणा फ्लॅग लगाने के बाद (lander) से (ascending module) (Ascender) 3 डिसेंबर 2020 को अलग हो गया 



उसके बाद (Ascender)  चांद के  ऑर्बिट मे पहुंचा और 
पेहले से जो ऑर्बिटर चंद्रमा की कक्षा मे था उसे जाकर 
(Dock) किया



और मे बाता दु की चांद की कक्षा मे (dock) करना आसान बात नहीं ऐसा सिर्फ अपोलो मिशनस्  मे (dock) किया 
गया था और अपोलो मिशन मे astronauts थे तो वो  सही से डॉक कर पाया था क्यूकि उस वक्त के (computers) इतने (powerful) नही थे

तो आप समजिये चीन ने चांद की कक्षा मे docking करके बोहोत बडा काम किया हैं 
और ये बोहोत मुश्किल था 

दोनो स्पेस क्राफ्ट की ऑर्बिट same करना ऑर्बिटल स्पीड, (velocity) मॅच करना ये मुश्किल हैं 
फिर डॉकिंग के बाद (Ascender) मे से उन सँपलस् को 
(Re entry capsule) मे ट्रान्स्फर करके Ascender को (undock) करके 

ऑर्बिटर पृथ्वी की तरफ वापस आने के लिये निकलता है
और 16 डिसेंबर 2020 को ऑर्बिटर 

(Re entry capsule) को ऑर्बिटर पृथ्वी की तरफ छोड देता है और  (capsule) के Re entry (capsule) सफलता पूर्वक (land) हो गया



और (CNSA चायना नॅशनल स्पेस एजन्सी) के मुताबिक (lander) ने करीब (1,743 kg sample) कलेक्ट किया है ये बोहोत ज्यादा है

और अब बात करते है मेन मिशन की तो चीन का मेन मिशन 2030 तक इंसान को चांद पे उतारणा और चीन
 ने 
इस सँपल रिटर्न मिशन को
 (chinease lunar exploration program) जोकी साल 2003 से शुरी ह्या है
तो ईसके तहत किया जा रहा है मतलब चीन
2  ऑर्बिटर  मिशनस
2 landing मिशनस
और दो sample return missions करेगा
मतलब एक और मिशन होगा sample return

और चीन ने सँपलस लाने के लिये जितने स्टेप्स किए उतने नही भी कर सकता था मतलब (Ascender)

(Samples) लेकर सिधे पृथ्वी पर वापस ला सकते थे लेकीन उन्होंने वैसा नही किया 

क्युकी (human) लँडिंग मिशन मे चांद से सीधे वापिस आना शक्य नही है मतलब चीन ने इस मिशन मे इतने स्टेप्स को फॉलो करके अपने फ्युचर मिशन की टेस्टिंग कर ली है

Ok तो आपको हमारी ब्लॉग पोस्ट कैसी लगी कमेंट करके जरूर बताये 

और क्या लगता हैं आपको 2030 तक चीन इंसान को चांद पे उतार पायेगा मुझे comment करके जरूर बताये

Thank you



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